बकरी पालन और देखभाल के माध्यम से ग्रामीण समुदायों को आत्मनिर्भर बनाना — जानिए बकरी पालन योजना कैसे जीवन में बदलाव ला रही है।
बकरी पालन योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे किसानों, महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs), गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और पशुपालन से जुड़े उद्यमियों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है। इस योजना के तहत बकरी पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिससे ग्रामीण आजीविका के नए रास्ते खुल सकें।
इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को बाड़ा निर्माण, बकरी शेड, चारा भंडारण और बकरी खरीद जैसे कार्यों के लिए कम ब्याज दर पर सहायता राशि उपलब्ध कराया जाता है। इसके साथ ही चारे, पानी की टंकी, पशु देखभाल उपकरणों, और सौर ऊर्जा सुविधाओं पर सरकारी सब्सिडी भी दी जाती है। इसके अलावा, पशुओं के इलाज, टीकाकरण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए भी विशेष सहयोग प्रदान किया जाता है।
यह पहल न केवल भारत की पशु विरासत को संरक्षित करती है, बल्कि पशुपालन के इर्द-गिर्द उद्यमिता को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाती है।
नई बकरी शेड के निर्माण, मरम्मत कार्य, और दूध निकालने तथा चारा प्रबंधन से संबंधित उपकरणों की खरीद के लिए ₹10 लाख तक की वित्तीय सहायता राशि उपलब्ध है।
यह सहायता राशि 1% मासिक ब्याज दर पर उपलब्ध है, जिसे आसान किश्तों में चुकाया जा सकता है।
योग्य आवेदकों को परियोजना लागत पर 40% तक की सब्सिडी राज्य ग्रामीण विकास विभागों के माध्यम से दी जा सकती है।
भूमि विकास, बाड़बंदी, बकरी शेड निर्माण, दूध निकालने की मशीन, चारे का भंडारण, जल व्यवस्था, और सौर ऊर्जा आधारित सुविधाएं।
आवेदक भारतीय नागरिक हों और आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
व्यक्तिगत किसान, स्वयंसेवी संस्थाएं (NGO), स्वयं सहायता समूह (SHG) और ग्रामीण उद्यमी आवेदन के पात्र हैं।
बकरी शेड के लिए भूमि का स्वामित्व प्रमाण या लीज़ दस्तावेज़ आवश्यक है।
वित्तीय योजना एवं लेआउट प्लान सहित परियोजना रिपोर्ट अनिवार्य है।
बैंक खाता विवरण और आधार से लिंक किया गया KYC अनिवार्य है।
स्थानीय पशुपालन या ग्राम पंचायत विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) आवश्यक है।
हमारी बकरी पालन योजना के अंतर्गत सहायता प्राप्त करने हेतु आवेदन फॉर्म भरें।