मुर्गी पालन के ज़रिए महिलाओं और युवाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करना — देखिए मुर्गी पालन योजना कैसे बदल रही है गांवों की तस्वीर।
मुर्गी पालन योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका को मजबूत करना, महिला उद्यमिता को बढ़ावा देना और पौष्टिकता में सुधार करना है। इस योजना के तहत योग्य लाभार्थियों को मुर्गी पालन के लिए आवश्यक संसाधनों और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
इस योजना के लाभार्थी निम्नलिखित सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं:
यह योजना छोटे और सीमांत किसानों, विशेषकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और सतत विकास की दिशा में सशक्त बनाने में सहायक है।
नई पोल्ट्री फार्म की स्थापना, मरम्मत कार्य और पोल्ट्री से संबंधित मशीनरी की खरीद के लिए ₹10 लाख तक की सहायता राशि उपलब्ध है।
यह सहायता राशि 1% मासिक ब्याज दर पर उपलब्ध है, जिसे आसान किश्तों में चुकाया जा सकता है।
राज्य ग्रामीण विकास विभागों के माध्यम से परियोजना लागत पर 40% तक की सरकारी सब्सिडी योग्य लाभार्थियों को प्रदान की जा सकती है।
मुर्गी शेड निर्माण, चारा भंडारण, फीडर और वॉटर सिस्टम, हैचिंग मशीन, सौर ऊर्जा उपकरण, बायोसेक्योरिटी सिस्टम, और वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट।
आवेदक भारतीय नागरिक हों और आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
व्यक्तिगत किसान, स्वयंसेवी संस्थाएं (NGO), स्वयं सहायता समूह (SHG) और ग्रामीण उद्यमी आवेदन के पात्र हैं।
बकरी शेड के लिए भूमि का स्वामित्व प्रमाण या लीज़ दस्तावेज़ आवश्यक है।
वित्तीय योजना एवं लेआउट प्लान सहित परियोजना रिपोर्ट अनिवार्य है।
बैंक खाता विवरण और आधार से लिंक किया गया KYC अनिवार्य है।
स्थानीय पशुपालन या ग्राम पंचायत विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) आवश्यक है।
हमारी मुर्गी पालन योजना के अंतर्गत सहायता प्राप्त करने के लिए नीचे दिया गया आवेदन पत्र भरें।